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Showing posts from May, 2018

कुछ रिश्ता था

कुछ रिश्ता था उसके मेरे दरम्यान  कुछ ख़ास थी वो  मेरे दिल के काफ़ी क़रीब थी वो  कुछ हालात बदले और कुछ वो ख़ुद  उसका हर बात पर झूठ बोलना मुझे गवारा न था  और उसका हर बात पर मुझसे सच बोलना उसे गवारा न था  कई शाम गईं  कई सुबह आईं  कई बरसातें आईं  कई तूफ़ान आए  और उस तूफ़ान में बादलों-सी कुछ उड़ चली वो  कुछ वो बदली  कुछ मैं बदली  और न जाने कब यह रिश्ता भी बदला  कुछ दिमाग़ में है वो  कहीं पेन्डिंग फ्रेंड रिक्वेस्ट में है वो  भले ही कभी पढ़ाई में टॉप न किया हो उसने लेकिन अब मेरी सर्च लिस्ट में टॉप पर है वो  बस अब कुछ अंजान-सी है वो  मगर भीड़  में कुछ जानी-पहचानी सी है वो कुछ पुरानी यादों में ज़िंदा -सी है वो लेकिन अब पराई-सी है वो कुछ अपनी ही कहानियों में उलझी है वो  हाँ, अब कुछ अंजान-सी है वो लेकिन अब सिर्फ़ मेरी कहानियों में ज़िंदा है वो और बस दिल के किसी कोने में दफ़न-सी है वो

Hush!!! It's her that week of the month.

You got your periods! These not so magical words changed her life and taught her something which we all need to talk about. RIGHT NOW! Do you know how?  Then you need to continue reading this article till the end which will tell you an untold story of her life. So,  when she was in 5th or 6th standard she got her first-period and like every other girl she was unknown of that so-called word "PERIODS". So,  it was the time of ''Summer vacations'' where everyone was chilling and enjoying their vacations and on another side, she learnt something. Something about periods? No, something about the mentality of humankind. Like every other day, she was taking shower and something abnormal happened with her. She literally yelled, "Mummy, I'm bleeding'' and she was about to cry by looking at that blood which was going down between her legs". She was a little girl so, she had no idea why the heck she was bleeding and then her elder s...