कुछ रिश्ता था उसके मेरे दरम्यान
कुछ ख़ास थी वो
मेरे दिल के काफ़ी क़रीब थी वो
कुछ हालात बदले और कुछ वो ख़ुद
उसका हर बात पर झूठ बोलना मुझे गवारा न था
और उसका हर बात पर मुझसे सच बोलना उसे गवारा न था
कई शाम गईं
कई सुबह आईं
कई बरसातें आईं
कई तूफ़ान आए
और उस तूफ़ान में बादलों-सी कुछ उड़ चली वो
कुछ वो बदली
कुछ मैं बदली
और न जाने कब यह रिश्ता भी बदला
कुछ दिमाग़ में है वो
कहीं पेन्डिंग फ्रेंड रिक्वेस्ट में है वो
भले ही कभी पढ़ाई में टॉप न किया हो उसने
लेकिन अब मेरी सर्च लिस्ट में टॉप पर है वो
बस अब कुछ अंजान-सी है वो
मगर भीड़ में कुछ जानी-पहचानी सी है वो
कुछ पुरानी यादों में ज़िंदा -सी है वो
लेकिन अब पराई-सी है वो
कुछ अपनी ही कहानियों में उलझी है वो
हाँ, अब कुछ अंजान-सी है वो
लेकिन अब सिर्फ़ मेरी कहानियों में ज़िंदा है वो
Usko kho Jane do😏
ReplyDeleteJo beet gai so baat gai,Us baat ka shikwa kaun kare
ReplyDeleteJo teer Kaman se nikal Gaya,Us teer ka peechha kaun kare? Jane do usko wo tumhare jaise achchhe dost ke layak hi nahi thi.