समझती हूँ मैं उन समुद्रों की लहरो को
समझती हूँ मैं उन अनजान चेहरों को
समझती हूँ मैं उनके ग़मो को
समझती हूँ मैं उन खिलखिलाते चेहरों को
समझती हूँ मैं उनके संघर्षो को
समझती हूँ मैं नकाब के पीछे के चेहरे को
समझती हूँ सबकी ज़रूरतें मैं
समझती हूँ सबके मतलब मैं
समझती हूँ हर एक बात को
हाँ , लेकिन कभी - कभार अनजान बनती हूँ मैं
क्योंकि , कितनी दूर और वो मुझे साथ ले कर चलेंगे , देखना चाहती हूँ मैं
देखना चाहती हूँ उनके मतलबी एहसास को
देखना चाहती हूँ अपनी ख़ामोशियों को
देखना चाहती हूँ और कितना सह सकती हूँ मैं
जानती हूँ थोड़ी - सी बेवकूफ हूँ मैं
लेकिन लोगो को थोड़ा और परखना चाहती हूँ मैं
हाँ लेकिन कभी - कभार अनजान बनती हूँ मैं
कभी - कभार खुद के ही जज़्बातों से कुचली जाती हूँ मैं
लेकिन हाँ, सब समझती हूँ मैं
very nice thought my beti
ReplyDeleteThank you so much papa 😘😘
Deletevery nice thought my beti
ReplyDeleteGood one😍
ReplyDeleteThank you 😇🙏
DeleteVeryyyy good .. beautifully written❤
ReplyDeleteThank you 😇🙏
DeleteHa , samaghti ho tum. No doubt. Bahut khoob kahti bhi ho tum. Nice keep it up dear.
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