लवज़ बहुत कुछ बया करना चाहते हैं
जुबा पर आना चाहते हैं ,
और कभी कभी आ भी जाते हैं ,
लेकिन क्या तुम समझ पाओगे?
समझ पाओगे ?
उस दर्द को,
उन लवज़ो को, जो मेरी रूह, मेरी ज़बान तुमसे बया करना चाहती हैं?
क्या तुम समझ पाओगे?
उस खामोशी को जो मुझे सताती हैं
उन आँसूओं को जो बार-बार आँखों से मेरी छलकते हैं
वो आँसू सिर्फ गवा हैं मेरे दर्द का ,
लेकिन ज़ख़्म उन आँसूओं से भी गहरे हैं
जो बार-बार,
हर रोज़ मुझे पहले से भी ज्यादा तकलीफ देते हैं
काश तुम समझ पाते ,
मेरी तकलीफ को ,
मेरे उन आँसूओं को,
मेरी उस चीख को,
मेरी उस कापती हुई आवाज़ को,
मेरे हर उस ज़ख़्म को
जिसको आपके ही अपने ने मुझे बचपन में भेट में दिया था
जो बचपन हंसने, खेलने में गुज़रता हैं सबका,
लेकिन मेरा बचपन गुज़रा
डर में ,
खामोशी में,
आँसूओं में,
उस समय भी बताना चाहती थी,
बया करना चाहती थी अपने इस दर्द को ,
लेकिन यही डर था ,
क्या तुम समझ पाओगे ?
शायद सही थी मैं,
ना बताना ही बेहतर था,
मेरे लिए,
आपके लिए,
क्योंकि आज भी वो दर्द सिर्फ मैं ही महसूस करती हूँ
तब भी मैं अकेले रोती थी
आज भी मैं अकेले रोती हूँ ,
तब भी वो दर्द मैं घुट-घुट करके पीती थी,
आज भी वो दर्द मैं घुट-घुट करके पीती हूँ
तब भी मैं घुठ-घुठकर जीती थी ,
आज भी मैं घुठ-घुठकर जी रही हूँ
काश! तुम्हें फर्क पड़ता,
मेरी खामोशीयों से,
मेरे उन आँसूओं से
काश! तुम समझ पाते उस तकलीफ को
काश! काश! काश!
तुम समझ पाते
कभी कभी कलम ही एक मात्र सहारा होता है !
ReplyDeleteयह दर्द सिर्फ तुम्हरा ही है और रहेगा💗 इसलिए दर्द मे भी खुशिया ढूंढो😘
YEAH 🙏
DeleteGood expressions.
ReplyDeleteTHANK YOU
DeleteTHANK YOU
ReplyDeleteI hope you'll love upcoming blog too
stay connected